
शनिवार दोपहर मोदी ने अपने भाषण की शरूआत करते हुए कहा कि आम तौर पर चुनाव उम्मीदवार और राजनीतिक दल लड़ते हैं, लेकिन यह पहला चुनाव ऐसा देख रहा हूं जो न केवल उम्मीदवार, पार्टी बल्कि जनता जनार्दन लड़ रही है। मतदाता खुद चुनाव लड़े ये लोकतंत्र की सर्वोत्तम स्थिति होती है। छत्तीसगढ़ में रमन सिंह और मध्य प्रदेश में शिवराज ने हजारों किलोमीटर जाकर अपने काम का हिसाब जनता को दिया, लेकिन दिल्ली के अहंकारी शासक जनता को काम का हिसाब नहीं देते। ये लेाग महंगाई का ‘म’ बोलने को तैयार नहीं। दिल्ली के शहंशाह ट्वीटर, फेसबुक और कमरे में बैठकर अनाप-शनाप आरोप लगाते रहते हैं। यह सब वह एक साल पहले गुजरात के विधानसभा चुनाव के दौरान कर चुके हैं। उसके बावजूद गुजरात की जनता ने बार-बार इनको परास्त किया।
इससे पहले राज्यसभा में प्रतिपक्ष के नेता अरुण जेटली, वरिष्ठ नेता नितिन गडकरी, सांसद नवजोत सिंह सिद्दू, भाजपा के दिल्ली सीएम प्रत्याशी डॉ. हर्षवर्धन, पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान शाहदरा के सीबीडी ग्राउंड स्थित रैली में पहुंचे। पहले सिद्दू ने मंच पर आते ही कांग्रेस और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर हमला करते हुए कहा, जवाहर लाल नेहरु के बाद इंदिरा गांधी आई, लेकिन जनता को मिला तो केवल बाबा जी का ठुल्लु। कांग्रेस वाले देश को सोने की नहीं, बल्कि सोनिया की चिड़िया बनाना चाहते हैं।
सिद्धू ने जनता से आह्वान किया कि दिल्ली को ठीक कर दो, देश खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगा। यह हमारी राजधानी हमारी पगड़ी है। हमारा अस्तित्व है। उन्होंने पीएम पर कटाक्ष करते हुए कहा, काहे का प्रधानमंत्री। मैं कहता हूं ‘पप्पू’ प्रधानमंत्री है, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है। दिल्ली में पिछले 15 साल से सत्ता से दूर भाजपा ने दोबारा राज्य की सियासी बागडोर संभालने के लिए मोदी की तीन रैलियां आयोजित की हैं। इन रैलियों के जरिए भाजपा राजधानी के 38 अहम विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं को मोदी के नाम पर रिझाने की कोशिश करेगी।